मछली में वे सभी गुण होते हैं जो एक पौष्टिक आहार में होते हैं। मछली प्रोटीन से भरपूर खुराक होती है जिसमें विटामिन और खनिज पदार्थ काफी मात्रा में होते हैं। बच्चे और गर्भवती महिलाओं के लिए मछली एक बढ़िया खुराक होती है। इसके मांस में चरबी कम होने के कारण यह दिल के मरीज़ों के लिए काफी लाभदायक होती है। मछली में स्टार्च और शूगर की मात्रा बिल्कुल नहीं होती इसलिए मछली को शूगर के मरीज़ भी खा सकते हैं। मानवी शरीर के लिए ज़रूरी तत्व जैसे फासफोरस और कैलशियम दोनों ही मछली में से मिल जाते हैं। छोटी मछलियों में दोनों तत्व मिल जाते हैं जबकि समुद्री मछली में आयोडीन की मात्रा ज्यादा होती है। जो मछलियां मीठे पानी में पाली जाती हैं उनमें फासफोरस, कैलशियम और लोहा तीनों बराबर मात्रा में पाए जाते हैं। छोटी मछलियों में विटामिन ए और डी की मात्रा काफी होती है और इन मछलियों के जिगर का तेल भी बहुत गुणकारी होता है। मानवी भोजन में प्रोटीन की काफी कमी होती है। और यह कमी धीरे धीरे खराब सेहत का कारण बनती है। जिसके परिणामस्वरूप शरीर का सही विकास नहीं होता और मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं। खुराक माहिरों के अनुसार, एक तंदरूस्त व्यक्ति को अपने भार के हिसाब से उतने ही ग्राम प्रोटीन की मात्रा का सेवन करना जरूरी है।
मछली का पौष्टिक महत्तव
मछली का सेवन कई रूप में पूरी दुनिया में प्राचीन काल से किया जा रहा है। मछली में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है। इस प्रोटीन को आसानी से पचाया जा सकता है। जीव वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि मछली में पाए जाने वाले प्रोटीन की महत्तता अंडे, मुर्गी और मांस से अधिक होती है। प्रोटीन के अलावा मछली में विटामिन और खनिज ज्यादा मात्रा में होते हैं। मछली में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है। जिस कारण शूगर के मरीज़ के लिए यह बहुत गुणकारी होती है। मछली के मांस में फाइबर बहुत कम मात्रा में 3.5 प्रतिशत होती है जबकि और किसी मांस में 15—20 प्रतिशत होती है। यही कारण है मछली का मांस आसानी से पच जाता है। भारत में सबसे ज्यादा मौतें दिल का दौरा पड़ने से होती है और यह बात मानी गई है कि मछली का मांस दिल के दौरे से बचाता है। इसलिए रोजाना की खुराक में मछली का मांस शामिल करें।
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