पंजाब में अधिक उपज देने वाली किस्मों की काश्त करने से उपज में काफी वृद्धि हुई पर लगातार धान—गेहूं की ज्यादा उपज देने वाली किस्मों की काश्त करने से ज़मीन की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ा है। किसान ज्यादातर यूरिया और डी ए पी खादों का इस्तेमाल करते हैं। इन खादों से नाइट्रोजन और फास्फोरस तत्व मिलता है और कुछ किसान म्यूरेट ऑफ पोटाश तत्व के लिए प्रयोग करते हैं। इन खादों से नाइट्रोजन और फास्फोरस तत्व मिलता है और कुछ किसान म्यूरेट ऑफ पोटाश को पोटाश तत्व के लिए प्रयोग करते हैं। ज़मीन में लघु तत्वों जैसे कि जिंक, लोहा, सल्फर और मैंगनीज़ आदि की कमी आने लग पड़ी है, जिसका सीधा असर उपज पर पड़ता है। रूड़ी की खाद और कंपोस्ट काफी मात्रा में नहीं मिल सकती। गेहूं की कटाई करने के बाद और खरीफ ऋतु की फसल बोने से पहले खेत काफी लंबे समय के लिए खाली रहते हैं और हम हरी खाद की फसल बो कर ज़मीन में जैविक मादा बढ़ा सकते हैं। हरी खाद से ज़मीन को जैविक मादा मिलने के साथ साथ और नाइट्रोजन भी मिल जाती है। यह हरी खाद अपनी जड़ों के बीच की गांठों में मौजूद बैक्टीरिया की सहायता से हवा में से नाइट्रोजन लेकर ज़मीन में जमा करती हैं। हम हरी खाद के रूप में सन, जंतर और लोबिया फसलें बो सकते हैं। 40—45 दिनों का सन तकरीबन 6—8 टन हरा मादा प्रति एकड़ के हिसाब से प्राप्त होता है। हरी खाद से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और लघु तत्व जैसे कि लोहा, मैंगनीज़, ज़िंक और तांबा आदि पाए जाते हैं।
• हरी खाद से ज़मीन की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है, क्योंकि यह ज़मीन के नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और अन्य खुराकी तत्वों में वृद्धि करती है।
• हरी फसल वाले खेतों में खुराकी तत्वों के पानी में घुलकर ज़मीन के नीचे रिस जाना कम हो जाता है।
• हरी खाद से ज़मीन की सेहत में सुधार होता है। भारी ज़मीनों में यह धरती में नमी और हवा का संबंध जोड़ती है जबकि हल्की ज़मीनों की पानी को बांधकर रखने की ताकत बढ़ जाती है, जिस कारण हरी खाद के बाद बोयी जाने वाली फसलों की जड़ें काफी बढ़ती हैं, जो कि पौधे को ज्यादा खुराकी तत्व सप्लाई करने में सहायक होती हैं, जिससे पौधे का विकास अच्छा होता है।
• हरी खाद नदीनों को कम करने में सहायता करती है, क्योंकि हरी खाद वाली फसल जल्दी बढ़ने के कारण नदीनों को दबा लेती है। जो नदीन खेत में उग गए हों, वह बीज बनने से पहले हरी खाद को खेत में जोताई के समय खेत में दब जाते हैं।
पंजाब में अधिक उपज देने वाली किस्मों की काश्त करने से उपज में काफी वृद्धि हुई है पर किसान ज्यादातर यूरिया और डी ए पी खादों का इस्तेमाल करते हैं। जिससे फसल को तत्व तो मिलते हैं पर ज़मीन की उपजाऊ शक्ति में कोई वृद्धि नहीं होती। ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के लिए आप हरी खाद उगाएं जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है। हरी खाद से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और लघु तत्व जैसे कि लोहा, मैंगनीज़, जिंक और तांबा आदि पाए जाते हैं।
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