मछली-पालन का व्यवसाय सफलतापूर्वक करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें
1. एक एकड़ के लिए 2000 छोटी मछलियों की जरूरत होती है।
2. ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों में मछली पालन के लिए कांटे वाली (कार्प) मछली रखी जाती है। यह दो प्रकार की होती है- इंडियन मेज़र कार्प और चाइनीज़ कॉमन कार्प
3. तलाबों/ छप्पड़ों में मांसखोरी और पाबंदीशुदा मछली अफ्रीकन मागूर की काश्त ना करें। यह पालनेयोग्य मछलियों की होंद के लिए खतरनाक है और वातावरण को प्रदूषित करती हैं।
4. तालाब/ छप्पड़ के किनारों की ऊंचाई आस-पास की ज़मीनों से लगभग तीन फुट ज्यादा रखें ताकि फसलों में प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशक पानी के बहाव से तालाब में ना आ सकें।
5. खुराक के तौर पर उच्च प्रोटीन वाला फिश मील देना चाहिए। खुराक का प्रयोग जरूरत से ज्यादा ना करें।
6. ये किस्में 1 से 1.5 वर्ष में मंडीकरण के लिए तैयार हो जाती हैं।
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