एक समय ऐसा होता था कि लोग अपने लॉन की सफाई और कटाई के लिए कोई सामान मौजूद ना होने के कारण भेड़ें, घोड़े और खरगोशों आदि अन्य जानवरों से काम लेते हैं। लेकिन 1830 में घास की कटाई वाली मशीन की खोज ने लोगों में लॉन की देखभाल का मशीनीकरण शुरू किया और समय के चलते-चलते आज हम इस स्तिथि पर पहुँच गए हैं कि बगीची के लॉन की देखभाल कारण अनेक मशीनें अपना योगदान डालती हैं और खूबसूरत लॉन बिना बगीची अधूरी समझी जाती है।
लॉन में बैठकर आनंद लेना बहुत ही आसान काम है, लेकिन स्वयं तैयार कर फिर उसकी देखभाल करनी हो तो देखभाल करने वाला ही जानता है। वैसे तो लॉन की देखभाल पूरा साल आवश्यक है, पर जब गर्म ऋतु दौरान 45°C तापमान के आस-पास पहुँच जाता है तो हमारी मुश्किलें और जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती है।
गर्मी के शुरू होते ही अप्रैल के दिनों में हमे पुराने जड़ों के घने जाल की गहराई देख लेनी चाहिए। यदि परत घना जाल 1/2 इंच से बढ़ जाये तो इसे रेकिंग के साथ तोड़ देना चाहिए ताकि पानी अच्छी तरह ज़मीन में सोखित हो सके और लॉन हरा भरा बना रहे। इसके साथ-साथ ही हमे ज़मीन की सघनता (Compactness) जांच लेनी चाहिए। खासतौर पर बगीची के उन हिस्सों में जहाँ यातायात ज़्यादा रहता हो क्योंकि वह परत सख्त होने के कारण ज़मीन और घास की जड़ें हवा का यातायात कम होने के कारण लॉन बुरा दिखाई देना शुरू हो जाता है। हवा के आदान प्रदान को बढ़ाने का काम गर्मी के समय और बरसातों से पहले कर लिया जाये तो ज़्यादा लाभदायक होता है। सख्त परत तोड़ने के समय ज़मीन में थोड़ी नमीं होनी ज़रूरी है। इस काम के साथ ही जिन स्थानों पर घास किसी वजह के कारण कम हुई हो या मर गया हो वह खाली स्थान भी भर देने चाहिए। इसके साथ बरसातों में उगने या बढ़ने वाले नदीनों की संख्या भी कम हो जाती है और लॉन एकसार तैयार हो जाता है। घरों में नदीननाशकों का जितना हो सके प्रयोग कम करना चाहिए। चौड़े पत्ते वाले नदीनों को खत्म करने के लिए 2-4D दवाई का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन मोथा/ढीला बगीची के शौकीनों के लिए अभी भी मुसीबत ही है। इसका हल हाथों से ही माली से करवाना पड़ता है।
गर्मी में मनुष्य की तरह लॉन को भी पानी की ज़रूरत होती है। पानी हमेशा सुबह जितना जल्दी हो सके देना चाहिए, यदि सुबह संभव ना हो सके तो शाम के समय दें, लेकिन दोपहर के समय पानी लगाने से परहेज करना चाहिए। सुबह के समय लगाए हुए पानी के साथ घास की जड़ों में मज़बूती और पकड़ ज़्यादा होती है।
अधिक लगाया हुआ पानी ज़्यादा लाभकारी नहीं होता। ज़्यादा समय पानी खड़ा रहने से घास पीली होनी शुरू हो जाती है और उल्ली रोगों का खतरा बना रहता है। गर्म मौसम दौरान खड़ा पानी मच्छर के घर का रूप धारण कर लेता है। समय पर घास की कटाई और लॉन किसी भी कोने में पानी खड़ा ना होने दें तो ही मच्छर से छुटकारा पाया जा सकता है।
सही समय और सही तरीके से की गई कटाई के साथ लॉन खूबसूरत दिखाई देता है। गर्मी के दिनों में घास की कटाई आम दिनों के मुकाबले मशीन का ब्लेड ऊपर उठाकर करनी चाहिए। इससे घास में ठंडक और नमीं रहती है। घास की कटाई हमेशा थोड़े दिनों के अंतराल पर करना बेहतर होता है, जिसके साथ घास की कटाई की गई पत्तियों को उठाना नहीं पड़ता और वह खाद का रूप धारण कर लेती हैं और साथ ही वह पानी के वाष्पीकरण पर भी रोक लगाती हैं। घास की कटाई के समय मशीन हमेशा एक दिशा में चलानी नहीं चाहिए।
दिशा बदलकर चलाने से टायरों के निशान भी पके नहीं होते। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि लॉन के साथ-साथ घास की कटाई वाली मशीन की देखभाल भी ज़रूरी है। उचित समय पर मशीन की मरम्मत की जानी चाहिए।
तीन-चार साल पुराने हो चुके लॉन को एक बार खरोंचना चाहिए, यह काम भी बरसात से पहले खत्म कर लेना चाहिए। घास खरोंचने के उपरांत मिट्टी, गोबर की खाद (गली हुई) और कुछ दिनों के अंतराल के बाद रासायनिक खाद, यूरिया, डीएपी आदि डालने से बरसात में लॉन पूरा रंग पकड़ लेता है। सामान्य परिस्थितियों में उर्वरक को हमेशा मौसम खुलने से पहले डालना चाहिए। यूरिया का छींटा देकर यदि संभव हो तो साल में रोलिंग ज़रूर करनी चाहिए। इससे घास की ज़मीन में पकड़ मज़बूत बनती है।
अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खूबसूरत लॉन प्राप्त करने के लिए हर खाद से खास आपका पसीना मतलब मेहनत और लगन है। मेहनत और लगन के साथ यदि आपके पास तकनीकी जानकारी हो तो सोने पर सुहागे वाली बात हो जाती है।
डॉ.बलविंदर सिंह लक्खेवाली
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