किसानों ने विज्ञान में इस उन्नति से निश्चित तौर से लाभ प्राप्त किया है। पर यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि पूरा साल सब्जियां उगाना मल्चिंग की तकनीक के बिना संभव नहीं होता।
पहले सब्जियों की खेती मौसम के मुताबिक ही की जाती थी पर अब खेतीबाड़ी विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति के कारण सब्जियां पूरा साल पैदा की जाती हैं। इसलिए खरपतकारों के लिए आज पूरा साल गाजर और गर्मियों में गोभी उपलब्ध है। किसानों ने विज्ञान में इस उन्नति से निश्चित तौर से लाभ प्राप्त किया है। पर यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि पूरा साल सब्जियां उगाना मल्चिंग की तकनीक के बिना संभव नहीं होता।
मल्चिंग क्या है ?
मिट्टी ऊपर की सतह को ढककर रखने को मुचलिंग कहा जाता है। जब मिट्टी की सतह पर जैविक पदार्थ का एक कवर /लेयर रखा जाता है, यह वाष्पित प्रणाली को धीमा करता है और मिट्टी के तापमान को बरकरार रखता है, जिससे जंगली बूटी के विकास में रुकावट पैदा होती है। इस प्रक्रिया को मल्चिंग कहते हैं।
मल्चिंग के लाभ:
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यह मिट्टी की नमी को बचाकर रखती है।
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यह मिट्टी को बहने से रोकती है।
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यह नदीनों की संख्या को कम करती है।
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यह मिट्टी में जैविक मादे को बढ़ाती है।
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यह सूक्ष्म जीव को सूर्य प्रकाश के साथ होने वाले नुकसान से बचाती है।
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यह केंचुओं को दिन रात काम करने में सहयोगी बनती है।
मल्चिंग के लिए प्रयोग किये जाने वाले पदार्थ:-
सही मल्च का चयन कैसे करें ?
किसानों को उस मल्च का चयन करना चाहिए जो कि आसानी से उपलब्ध हो, सस्ता हो और प्रयोग के लिए साधारण हो। मल्च की कीमत उपलब्धता अनुसार इसे जिस जगह पर प्रयोग किया जाना है, विभिन्न हो सकती है। कई सामग्री हमारे आस–पास उपलब्ध है जो प्रयोग की जा सकती हैं। यदि जड़ें गहरी नहीं होती तो बूटी जल्दी ही बढ़ेगी। पर यदि जड़ें गहरी बैठी हो तो उन्हें उचित हवा यातायात नहीं मिलेगी।
मल्चिंग के लिए आप अखबार, जैविक पदार्थ और प्लास्टिक की शीटों का प्रयोग कर सकते हैं। सूखे पौधे या किसी तरह के पत्तों, तने, छाल, हरी या सूखी घास और सूखे पत्तों को काटकर मल्च तैयार किया जा सकता है। पौधों की छाल को छोटे टुकड़ों में काटा जा सकता है और मल्च के रूप में फैलाया जा सकता है। पौधे के सूखे पत्ते आसानी से उपलब्ध हैं जो कि एक मल्च के तौर पर प्रयोग किये जा सकते हैं। लकड़ी का बूरा और कागज़ भी उपयोगी हैं। ऐसे किस्म के मल्च का इस्तेमाल करके पानी का प्रयोग ना केवल 25-30 फीसदी कम होता है, बल्कि उत्पादन में सुधार आता है।
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