हर फसल की देखभाल को लेकर किसानों के मन में एक डर पैदा होता है कि कोई बीमारी या कीट उनकी फसल को नुकसान ना करे। जब किसान डर को दूर करने के लिए कीटनाशक या उल्लीनाशक दवाइयों के एकसाथ प्रयोग करते हैं। तो वह फायदे की बजाए नुकसान करती है।
किसान फसल को उगाने के लिए जहाँ पर इतनी मेहनत करते हैं वहां ही जब देखभाल की बारी आती है तो उनके मन में एक डर रहता है कि किसी बीमारी या कीट का हमला उनका नुकसान ना कर जाये जिसके कारण वह बिना किसी बीमारी या कीट के हमले वाले खेत में स्प्रे करने की कोशिश करते हैं जो कि उनके खर्चे में वृद्धि करती हैं। कई दवाइयों की कीमत हज़ारों में होती है और किसान उनका प्रयोग बिना ज़रूरत के करते हैं।
धान की फसल के ऊपर कई बीमारी या कीट का हमला होता है और उनकी रोकथाम के लिए किसानों की तरफ से स्प्रे का प्रयोग किया जाता है। किसान समय और लेबर का खर्चा बचाने के लिए कीटनाशक या उल्लीनाशक और उर्वरकों को एक ही ढोली में डालकर स्प्रे कर देते हैं जो कि बिलकुल ही गलत तरीका है दवाइयों को प्रयोग करने का। हर एक रसायन की एकाग्रता अलग–अलग होती है और यदि इन्हे एक साथ मिलाकर खेत में स्प्रे की जाती है तो एक इसका असर कम होता है, दूसरा फसल को इसका नुकसान होता है। आज कल किसान कीटनाशक, फंगसनाशी और NPK जो कि घुलनशील खाद होती है उन्हें एकसाथ मिलाकर स्प्रे करते हैं जिससे उनका यह नुकसान होता है कि फसल के पत्ते झुलस जाते हैं जिससे किसानों को लगता है कि बीमारी में वृद्धि हुई है और वह अन्य दवाई की स्प्रे करते हैं, जिससे किसान का खर्चा और नुकसान दोनों होते हैं। किसानों में यह बात भी बहुत प्रचलित है कि दवाइयों का अलग–अलग घोल बनाएं और उसे एक ढोली में डालकर इसकी स्प्रे करें। यह भी कोई कामयाब तरीका नहीं है इसका भी परिणाम मिलता है कि फसल को पूरा असर नहीं मिलता है और वोह दोबारा स्प्रे करने के लिए मजबूर होते हैं। किसी भी स्प्रे का प्रयोग करने के 3-4 दिन तक इसके असर का इंतज़ार करें और उसके बाद दूसरी स्प्रे का इस्तेमाल करें। एक समय पर 4 दवाइयों को मिलाकर स्प्रे ना करें ताकि फसल को फायदा होने की बजाए नुकसान हो जाये।
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