फूल गोभी भारत वर्ष की शीतकालीन गोभी वर्गीय सब्जियों में से एक प्रमुख सब्जी है। इसकी खेती मुख्य रुप से अविकसित गठे हुए पुष्प पुंज के उत्पादन के लिए की जाती है। फूल गोभी का उपयोग सब्जी, सूप, अचार, पकौड़ा आदि बनाने में किया जाता है। इसकी सफल खेती के लिए ठड़ी एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम होती है अच्छी फसल के लिए 15-20 डिग्री तापमान उत्तम होता है।
बुवाई का समय, भूमि खाद व उर्वरक
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफसर उद्यान डाक्टर एसके लोधी ने बताया कि फूल गोभी की मध्यम और पछेती किस्मों की बुवाई 30 अक्टूबर तक कर देनी चाहिए एवं अगेती किस्मों का बीज 600-700 ग्राम एवं मध्यम एवं पछेती किस्मों के लिए 350-400 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है।
बीज को स्टेप्टोसाइक्लिन का आठ लीटर पानी में घोल बनाकर 30 मिनट तक पानी में डूबाकर उपचारित करें। इसकी रोपाई में कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से 45 सेमी और पछेती किस्मों के लिए कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 60 से 45 सेमी रखनी चाहिए।
फूल गोभी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट भूमि उत्तम होती है, जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो। रोपाई से पूर्व खेत की जुताई कर समतल कर देना चाहिए। उपरोक्त खेती के लिए 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद रोपाई के लगभग एक माह पूर्व अच्छी तरह मिला देना चाहिए।
इसके अतिरिक्त 50 नाइट्रोजन, 25 फास्फोरस एवं 17 पोटाश प्रति एकड़ की दर से देनी चाहिए। नाइट्रोजन का एक तिहाई एवं फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा अंतिम जुताई से पहले खेत में मिला देना चाहिए। शेष नाइट्रोजन की आधी मात्रा दो बराबर भागों में 30 और 45 दिन बाद देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म तत्वों बोरोन 4 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ एवं मॉलीब्डेनम की मात्रा 400 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला देनी चाहिए।
उन्नत किस्में
अगेती किस्में– अर्ली, कुंआरी, पूसा कातिकी, पूसा दीपाली, समर किंग
मध्यम किस्में– पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा अगहनी, पूसा स्नोबाल
पछेती– पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबाल-16
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