पशुओं के दूध में फैट और एन एस एफ का बढ़ना सिर्फ खुराक पर निर्भर करता है। सफल डेयरी पालक की हमेशा कोशिश रहती है कि बाज़ार में उपलब्ध फैट बढ़ाने वाले उत्पादों से किनारा किया जाए और संतुलित खुराक द्वारा ही फैट बढ़ाई जाये। इसके इलावा कुछ और फैट बढ़ाने से संबंधित बातें आपसे शेयर कर रहे हैं।
1. वितरण ज्यादा मात्रा में देना हो जैसे कि 7-8 किलो प्रतिदिन या साइलेज़ भी पशु की खुराक में शामिल हो तो 100 किलो वितरण में 250 ग्राम किलो मीठा सोडा मिला दें। इससे पशु बदहजमी से बचा रहेगा और दूध में फैट की मात्रा भी कम नहीं होगी।
2. पशुओं को बड़ेवें डालने से फैट ज़रूर बढ़ती है पर आप रोज़ाना 250 ग्राम से अधिक ना डालें नहीं तो चर्बी ज्यादा चढ़ने लग जाती है और बड़ेवें सूखे ही हों, ठीक हैं यदि देसी कपास के बड़ेवें हों तो और भी अच्छा है।
3. सर्दियों के हरे चारे (बरसीम, लूसर्न, शफतल, सेंजी, राई घास, जई आदि) बगैर चूरा करके खिलाने से दूध की फैट बढ़ती है।
4. लेवे की सोजिश दूध में फैट को कम करती है इसलिए कोशिश करें कि पशुओं को हमेशा लेवे की सोजिश से बचा के रखें।
5. जब हरा चारा दिन में सिर्फ दो बार खिलाया जाता है तो दूध की फैट कम आती है। थोड़ा थोड़ा हरा चारा दिन में कई बार खिलाने से दूध की फैट बढ़ जायेगी।
6. हरा चारा ज्यादा और दाना कम खिलाने से गाभिनें हमेशा ज्यादा फैट वाला दूध देती हैं। हरा चारा ज्यादा खिलाने के समय गाभिनें लंबे समय तक जुगाली करती हैं। जिससे उझरी में तेजाब की मात्रा पर नियंत्रण रहता है और दूध की फैट भी कम नहीं होती। यदि दाना ज्यादा खिलाना पड़े, तो एक बात जरूर ध्यान में रखें कि एक ही समय 2.5-3.5 किलो से ज्यादा दाना कभी ना खिलायें|
7. दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा दाना खिलाने से फैट बरकरार रहती है।
8. ब्याने के उपरांत गाभिनों को पोटाशियम कार्बोनेट खिलाने से दूध में फैट बढ़ जाती है। ब्याने के उपरांत दूध की पैदावार बढ़ने से गाभिनों का शारीरिक पोटाशियम स्तर कम हो जाता है। पोटाशियम उझरी में चर्बीले तेजाब के अणुओं में हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ाता है, जो बाद में दूध की फैट बनाते हैं।
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