पशुओं में होने वाली थनों की बीमारियां आजकल हर किसान की बड़ी समस्या है जिस कारण जल्दी इलाज ना होने के कारण किसान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है,क्योंकि पशुओं का मूल्य दूध से ही पड़ना है। इसकी बीमारी का कोई टीकाकारण भी कामयाब नहीं हुआ। भारत में हर वर्ष लगभग कई करोड़ रूपये का आर्थिक नुकसान मैसटाइटिस के कारण हो जाता है।
आइये समझें क्या है मैसटाइटिस
आमतौर पर मैसटाइटिस दो तरह की होती है क्लीनिकल और सब—क्लीनिकल। क्लीनिकल मैसटाइटिस का तो आम पशु-पालक को पता लग जाता है, दूध में छिद्दियां, थनों में सोजिश, जख्म आदि से। पर सब-क्लीनिकल मैसटाइटिस में समस्या की शुरूआत का लेवे को देखकर पता नहीं लगता, क्योंकि वह सिर्फ शुरूआत होती है और इस अवस्था पर ही मैसटाइटिस को रोका जा सकता है। पर इसे तभी रोका जा सकता है यदि इसकी पहचान हो।
किस तरह घर में की जाये पहचान
- इसकी पहचान के लिए वैसे कई तरह के टैस्ट हैं पर सबसे आसान है टैस्ट। इस टैस्ट के लिए आपको वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने वाले सर्फ एक्सल पाउडर 3 ग्राम को 100 मि.ली. पानी में घोल लें। अब पशु के चारे थनों में से 4-5 मिलीलीटर दूध निकालकर अलग अलग कोलियों में डाल लें।
- 4 से 5 मिलीलीटर दूध में समान मात्रा में पानी और सर्फ वाला घोल डाल दें और इसे हिलाएं। हिलाने के बाद चैक करें कि किस बर्तन में जैली बन गई और फिर साथ की साथ ठीक हो गई तो सिर्फ सब-क्लीनिकल है बीमारी नहीं है लेकिन शुरू हो रही है , यदि जाले या जैली ज्यादा बनी है और कुछ सैकिंड के बाद भी खत्म ना हो तो बेशक क्लीनिकल मैसटाइटिस की समस्या है, अगर कच्चे अंडे की तरह गाढ़ी जेली बन गयी है तो यह गंभीर समस्या है, इसके अनुसार डॉक्टर से टीके या और इलाज करवायें। इस तरह बैठे आसान से टैस्ट से आप बड़ा नुकसान होने से बचाव कर सकते हैं।
कृषि और पशुपालन के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपनी खेती एप्प डाउनलोड करें - एंड्राइड, आईफ़ोन