गेहूं, धान के बाद भारत की सबसे महत्तवपूर्ण अनाज की फसल है और भारत विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह तथ्य स्वंय ही स्पष्ट करता है कि किसान किस तरह गेहूं की फसल पर निर्भर हैं। लेकिन गेहूं की अच्छी गुणवत्ता वाली फसल को उगाना आसान नहीं है। बहुत सारे कारक होते हैं जिन पर फसल की गुणवत्ता आधारित होती है। जैसे मौसम, मिट्टी का उपजाऊ-पन, बारिश आदि। ये सारे कारक अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के उत्पादन के लिए बहुत महत्तवपूर्ण होते हैं और कीट नियंत्रण इनमें से एक है।
इसलिए यहां पर गेहूं के लिए कुछ सामान्य कीट और उनके नियंत्रण हैं जिन्हें किसान आसानी से अपने खेत में प्रयोग कर सकते हैं:
दीमक: ये मुख्यत: बिजाई के तुरंत बाद या पकने के समय फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके कारण पौधे तुरंत ही पूरी तरह सूख जाते हैं और पौधेआसानी से बाहर निकाला जाते है। पौधा, जिसे बाद की अवस्था में नुकसान होता है उसकी सफेद रंग की बालियां आती हैं।
उपचार: बिजाई से पहले Durban/Ruban/Durmet 20 EC (chlorpyriphos) @4 मि.ली. प्रति लीटर पानी से प्रति किलो बीज का उपचार करें या Regent 5% SC (Fipronil) @ 6 मि.ली. को 1 लीटर पानी में मिलाकर प्रति किलो बीज का उपचार करें।
चेपा: यह फसल को नुकसान पहुंचाता है जिससे पत्ते बेरंग हो जाते हैं।
उपचार : imidacloprid 17.8 @ 40 मि.ली या thiamethoxam @ 20 ग्राम या clothianidin @ 12 ग्राम या dimethoate @ 150 मि.ली. को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
सैनिक सुंडी: यह मुख्यत: मार्च – अप्रैल महीने में हमला करती है। यह मुख्य तौर पर पत्तों और बालियों को नुकसान पहुंचाती है।
उपचार: dichlorvos @200 मि.ली या quinalphos @ 400 मि.ली. को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
फली छेदक: यह मुख्य तौर पर पकने पर फसल को नुकसान पहुंचाती है। ये बालियों को खाकर गेहूं को नुकसान पहुंचाती हैं
उपचार: हाथ से चलने वाली नैप सैक स्प्रेयर की सहायता से quinalphos @ 800 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
गुलाबी तना छेदक : यह मुख्यत: नए पौधे की अवस्था में फसल पर हमला करती है। लार्वा नए पौधे के तने के अंदर छेद कर देता है और यह मुख्य तने को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण डेड हार्ट होता है।
उपचार: गुलाबी तना छेदक को रोकने के लिए quinalphos @ 800 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
भूरी जूं: यह एक छोटा कीट होता है जिसके कारण फसल बेरंग हो जाती है।
उपचार: imidacloprid@17.8 SL @ 40 मि.ली. या thiamethoxam @20 ग्राम या clothianidin @12 ग्राम या dimethoate @150 मि.ली. को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
अपनी खेती समझती है कि देशभर में खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने के लिए फसल की देखभाल करनी कितनी आवश्यक है। इसलिए हम यहां किसानों की मदद करने के लिए सभी तरह की फसलों की बिजाई, बीज दर, खादें, खरपतवार, कीट और बीमारियां, उनके नियंत्रण और भी बहुत सी चीज़ों के बारे में सामान्य जानकारी उपलब्ध करवाते हैं।
हम आधुनिक खेती के ज्ञान के साथ हमारे किसानों को सशक्त बनाना चाहते हैं।
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