precaution for crop

गेहूं की फसल को आग लगने से बचाने के लिए कुछ सुझाव

आने वाले दिनों में हमारे खेतों में गेहूं पकने जा रही है। जितनी देर तक गेहूं की फसल की पूरी कटाई नहीं होती, तब तक का समय हमारे लिए संकटकालीन होता है। क्योंकि चढ़ती गर्मी की तेज हवाएं या बिजली के शार्ट सर्कट या किसी मजदूर की तरफ से बीड़ी सिगरेट जलाना या खाना वगैरह पकाने के लिए जलाई गई चिंगारी हमारी फसल को लगने वाली आग का मुख्य कारण है। ऐसी अप्रत्याशित घटनाएं आम ही हो जाती है, जिनके लिए हम सरकार या बिजली विभाग को दोष देते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि आग बुझाने के लिए सरकारी फायर ब्रिगेड मदद करे। इस कारण उन पर अधिक दबाव रहता है पर फिर भी कच्चे रास्तों, पहियों आदि के कारण गाड़ियों का लेट हो जाना स्वाभाविक है। जैसे कि एक नारा है “सरकारां तों ना झाक करो, अपनी राखी आप करो” की तरह हमें स्वंय को ही अपनी इस समस्या का सामना करने के लिए तैयार होना पड़ेगा। इसलिए कुछ नुस्खे हैं जिनसे हम अपने गांव के स्तर पर ही यह प्रबंध करके रख सकते हैं। इस पर कोई लागत भी नहीं आएगी बल्कि हम हर समय तैयार बर तैयार अपनी फसल का संरक्षण करने के लिए चुस्त और बेफिक्र रह सकते हैं।

अपने खेत में जिस जगह पर ट्रांसफार्मर लगा है वहां से गेहूं काट दें।

यदि पानी की जरूरत ना हो तो ट्रांसफार्मर का स्विच बंद रखें।

लोहे की टंकियां पानी से भरकर खेतों के बीच में रख दें, अगर हो सके तो इसके साथ लगभग सौ फुट की पाइप का टुकड़ा लगाएं।

गांव में जितने भी बड़े स्प्रे पंप हैं उनकी टंकियों को पानी से भरकर तैयार रखें और छोटे स्प्रे पंपों को पानी से भरकर खेत वाले कमरे में ही रखें क्योंकि किसी समय छोटे हथियार भी काम आ जाते हैं।

यदि गांव के लोग इक्ट्ठे होकर पांच दस आग बुझाने वाले सिलेंडर खरीद लें तो यह सोने पर सुहागे वाली बात हो सकती है।

खेतों में बैठी लेबर को आग का प्रयोग बड़ी सावधानी से करना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसी गल्ती बहुत बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।

आग बुझाने के लिए गांव के पांच दस साहसी नौजवानों की लिस्ट बनाकर रखी जाए और कोशिश की जाए कि वे ऐसे समय में गांव से कम ही बाहर जाएं।

हल/कल्टीवेटर को खेत में ही रखें ताकि मुसीबत के समय गांव की तरफ ना भागना पड़े।

प्रत्येक किसान के पास गुरूद्वारा साहिब के जिम्मेवार व्यक्ति का मोबाइल नंबर भी जरूर हो ताकि सूचना जल्द से जल्द पूरे गांव में पहुंचाई जा सके।

प्रत्येक किसान के पास बिजली ग्रिड का नंबर जरूर होना चाहिए ताकि संकट के समय बिजली की सप्लाई बंद की जा सके।

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