पशुओं में सींग अपनी रक्षा तथा बचाव के लिए होते है जिससे वे दूसरे पशुओं पर हमला करते हैं। सींगों से पशुओं के नस्लों की पहचान भी होती है। लेकिन सींगों वाले पशुओं को नियंत्रित करना तथा उनके साथ काम करना मुश्किल होता है क्योंकि इसने अन्य पशुओं तथा उनके साथ काम करने वाले मनुष्यों को चोट लगने का सदैव भय रहता है। सींग रहित पशु देखने में भी सुंदर लगते हैं तथा उनकी बाज़ार में कीमत भी अपेक्षाकृत अधिक होती है।
विधि:
बछड़ों व बछियों को सींग रहित करने के लिए जन्म के कुछ दिन बाद उनके सींगों की जड़ को दवा या सर्जरी द्वारा काट दिया जाता है। यह कार्य गाय के बच्चे की 10-15 दिन की आयु तथा भैंस के बच्चे की 7-10 दिन की आयु में अवश्य करा लेना चाहिए क्योंकि तब तक सींग कई जड़ कपाल की हड्डी (स्कल) से अलग होती है जिसे आसानी से निकाला जा सकता है। इससे अधिक आयु के बच्चे को सींग रहित करने से उसे तकलीफ होती है।
सावधानियां:
पहले बछड़ों/बच्छियों को सींग रहित करने के लिए उनके सींग के निकलने के स्थान पर कास्टिक पोटाश का प्रयोग किया जाता था जिससे सींग की जड़ नष्ट हो जाती थी। लेकिन अब यह कार्य एक विशेष बिजली का यंत्र जिसे इलेक्ट्रिक डिहार्नर कहते हैं, के साथ एक छोटी सी सर्जरी द्वारा किया जाता है। सर्जरी से पहले सींगों की जड़ों वाले स्थान को इंजेक्शन देकर सुन्न किया जाता है, जिससे सर्जरी के दौरान पशु को तकलीफ नहीं होती। सींग रहित करने के स्थान पर चमड़ी में थोड़े से घाव हो जाते हैं जिन पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाने से वे कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। बड़े पशुओं को सींग रहित करना कुछ मुश्किल होता है क्योंकि इसमें बड़ी सर्जरी करने की आवश्यकता होती है तथा घाव भी बड़ा होता है जिसके ठीक होने में कुछ अधिक समय लगता है।
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