आमतौर पर कई बार पशु को गाभिन करवाने के बाद किसान भाई उसे भूल जाते हैं और 9-10 महीनों के बाद उसके ब्याने का इंतज़ार करते हैं। पर जब गाभिन ब्याने का नाम ही नहीं लेती और डॉक्टरी जांच करवाने के बाद पता लगता है कि वह तो गाभिन ही नहीं, तो ऐसी हालत में किसान भाइयों का बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है। इसलिए दुधारू पशुओं को गाभिन करवाने के दो तीन महीने बाद उनके गर्भ की जांच करवा लेनी चाहिए। इसके फायदे हैं कि समय से इलाज करवा कर गाभिन करवाया जा सकता है। गर्भ की जांच करवाने के समय ये सावधानियां जरूर रखें
• दुधारू पशुओं की जांच सिर्फ माहिर डॉक्टर से ही करवायें।
• गाभिन चैक करने के समय दुधारू पशुओं को अच्छी तरह नियंत्रित किया होना चाहिए।
• गाभिन चैक करने के समय माहिर डॉक्टर के हाथों के नाखून काटे होने चाहिए।
• चैक करने के समय बाजू पर हमेशा लेसदार पदार्थ जैसे लीसापोल ही लगाना चाहिए। कपड़े धोने वाले साबुन प्रयोग करते समय दुधारू पशुओं को काफी तकलीफ होती है।
• गाभिन चैक करने के उपरांत किसी भी दुधारू पशु को ठंडा टीका लगवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
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