बेल वाली सब्जियों के अंतर्गत घीया (लौकी), तोरई, ककड़ी, करेला, टिंडा, काशीफल, पेठा, खरबूजा व तरबूज आदि फसलों की खेती की जाती है।इन फसलों के उत्पादन के दौरान अनेक प्रकार के कीट फसलों को नष्ट कर उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते हैं।
प्रमुख कीट
• कद्दू का लाल कीट (लाल सूण्डी): ग्रब अवस्था पौधों की मुलायम जड़ों को खुरच-खुरच कर खाती है जबकि प्रौढ़ कीट पौधों की मुलायम कालिकों व पत्तियों को काटकर खाते हैं।
• प्रबंधन: कीटनाशी मैलाथियॉन 5 प्रतिशत धूल (पाउडर)या मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत धूल 10-12 किलोग्राम प्रति एकड़ फसल पर शाम के समय बुरकाव करें। (मैलाथियॉन 50 ई.सी या साइपरमैथ्रिन 25 ई.सी या फैनवलरेट 20 ई.सी) 50-100 मि.ली. पानी में घोलकर प्रति एकड़ फसल पर शाम के समय छिड़काव करें।
• फल मक्खी: यह कीट विकसित मुलायम फलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन कीटों की मादा मक्खी अपने अंडे रोपक को मुलायम फलों के गुद्दे में घुसाकर उनमें अंडे देती है तथा फलों के अंदर ही अपशिष्ट पदार्थ छोड़ती है जिससे फल सड़ने लगता है। फलों के प्रभावित भाग से तेज़ गंध आने लगती है।
• प्रबंधन: इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियॉन 50 ई.सी 400 मि.ली. या कार्बरिल पाउडर 400 ग्राम को 200 लीटर पानी में घोलकर शाम के समय प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
• पत्तों का सुरंगी कीट चेपा हरा तेला व माइट : ये कीट आकार में छोटे होते हैं। इनके शिशु व प्रौढ़ दोनों ही अवस्था में पौधों के मुलाम भागों, पत्तियों तथा कलिकाओं का रस चूसकर कमज़ोर बना देते हैं।
• प्रबंधन : इसकी रोकथाम के लिए कीटनाशी डाइमैथोएट 30 ई.सी या मैलाथियॉन 50 ई.सी 200 मि.ली. को 200 लीटर पानी में घोलकर शाम के समय प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
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