अत्याधिक रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। किसानों को अब यह अनुभव होने लगा है कि रासायनिक कीटनाशक अब कीटों पर बेअसर हो रहे हैं। इसलिए किसान अब समझ रहे हैं कि इस समस्या को कम करने के लिए कृषि के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक तरीके से इस समस्या को कम किया जा सकता है।
कीट प्रबंधन में फंगस एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं आज के समय में मित्र फंगस आसानी से मार्किट में उपलब्ध हैं। किसान इन फंगस को मार्किट से खरीद कर आसानी से फसलों पर प्रयोग कर सकते हैं।
1. ब्युवेरिया बेसियाना : यह प्रकृति में मौजूद सफेद रंग की फंगस है और इसे लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुडियां (जैसे बालों वाली सुंडी, रस चूसने वाले कीट, वूली चेपा, सफेद मक्खी और मकौड़ा जूं आदि) जो फसलों और सब्जियों पर मौजूद होती हैं के प्रबंधन के लिए प्रयोग किया जाता है। यह प्यूपा अवस्था में कीटों का प्रबंधन करने में मदद करती है।
कीट के संपर्क में आते ही इस फंगस के स्पोर त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं, जिसके प्रभाव से कीट कुछ दिनों बाद ही लकवा ग्रस्त हो जाते हैं और अंत में मर जाते हैं। मृत कीट सफेद रंग की मम्मी में बदल जाता है।
यह मार्किट में बायों रिन, लार्वो सील, दमन तथा अनमोल बॉस के नाम से मिलते हैं।
2. मेटारीजियम एनीसोपली : यह बहुत ही उपयोग फंगस है। जो कि दीमक, घास का टिड्डा, पौधे का टिड्डा, वूली चेपा, बग एवं बीटल आदि के विरूद्ध उपयोग की जाती है। इस फंगस के स्पोर पर्याप्त नमी में कीट के शरीर पर अंकुरित हो जाते हैं जो त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करके वृद्धि करते हैं। यह कीट के शरीर को खाते हैं और जब कीट मर जाते हैं तो पहले कीट के शरीर के जोड़ों पर सफेद रंग की फंगस होती हैं जो कि बाद में गहरे हरे रंग में बदल जाती है।
प्रयोग करने की विधि : मित्र फंगस 750 ग्राम को स्टिकर एजेंट के साथ 200 लीटर पानी में मिलायें और फिर इसे सुबह और शाम के समय स्प्रे करें।
3. मित्र सुत्रकृमि (Entomo-pathogenic Nematode-E-P-N): कीटहारी सुत्रकृमियों की कुछ प्रजातियां कीटों के ऊपर परजीवी रहकर उन्हें नष्ट कर देती है। निमाटोड डी डी 136 को गन्ना, धान और अन्य फलों के वृक्षों पर मौजूद कीटों के नियंत्रण के लिए प्रयोग किया जाता है।
4. वरटीसिलियम लेकनाई: यह एक फंगस है जो कीटों को नष्ट करती है। यह निमाटोड पर भी समान रूप से कार्य करती है। यह चेपा, स्केल कीट, थ्रिप्स, लाल मकौड़ा जूं आदि का प्रभावी रूप से नियंत्रण करती है। यह सोयाबीन फसल में सिस्ट निमाटोड को भी नियंत्रित करती है।
इस फंगस के बीजाणु छिड़काव के पश्चात कीट के शरीर पर चिपक जाते हैं और एंजाइम उत्पन्न करते हैं जो त्वचा को गलाकर कीट के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। धीरे धीरे ये कीट के शरीर के सारे तत्व को चूसकर उन्हें मृत कर देते हैं। यह फंगस कीट के शरीर के बाहर भी विकास करता है और एक जहरीला पदार्थ भी पैदा करता है जो कीटों को 5-10 से दिनों में नष्ट कर देता है।
प्रयोग करने की विधि: फंगस पाउडर 250-500 ग्राम को प्रति एकड़ के लिए 200-500 लीटर पानी में मिलायें और फिर इसे पत्तों के निचले भाग पर स्प्रे करें। इसकी स्प्रे शाम के समय या बहुत सुबह की जाती है।
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