यह भारत की चौथे नंबर की तिलहनी फसल है और तिलहनी फसलों में सरसों का हिस्सा 28.6 प्रतिशत है। विश्व में यह सोयाबीन और पाम के तेल के बाद तीसरी सब से ज्यादा महत्तवपूर्ण फसल है। सरसों के बीज और इसका तेल मुख्य तौर पर रसोई घर में काम आता है। सरसों के पत्ते सब्जी बनाने के काम आते हैं। सरसों की खल भी बनती है जो कि दुधारू पशुओं को खिलाने के काम आती है।
• हानिकारक कीट और रोकथाम
चेपा : ये कीट पौधे का रस चूसते हैं। जिस कारण पौधा कमज़ोर और छोटा रह जाता है और फलियां सूखकर छोटी रह जाती हैं। यहां सरसों में पाये जाने वाले मुख्य कीट और बीमारियां और उनके इलाज दिए गए हैं।
इसकी रोकथाम के लिए समय से बिजाई करनी चाहिए। नाइट्रोजन वाली खादों का प्रयोग कम करें। जब खेत में चेपे का नुकसान दिखे तो कीटनाशक जैसे थाइमैथोक्सम@80 ग्राम या क्विनलफॉस 250 मि.ली. या क्लोरपाइरीफॉस 200 मि.ली. को 100-125 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
चितकबरी सुंडी : यह फसल को अंकुरन और पकने के समय नुकसान करती है। यह पत्तों का रस चूसती है जिस कारण वे सूख जाते हैं। बिजाई के तीन चार हफ्तों बाद सिंचाई करने से इस कीड़े की संख्या को कम किया जा सकता है। यदि खेतों में इसका नुकसान दिखे तो मैलाथियॉन 400 मि.ली. प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
बालों वाली सुंडी : यह सुंडी पत्तों को खाती है और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर देती है। यदि खेत में इसका नुकसान दिखे तो मैलाथियॉन 5 प्रतिशत डस्ट 15 किलो प्रति एकड़ या डाइक्लोरोफॉस 200 मि.ली. को 100-125 लीटर पानी में प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
• बीमारियां और रोकथाम
झुलस रोग : पौधे के पत्तों, फूलों, तनों और फलियों पर गहरे भूरे रंग के गोल धब्बे पड़ जाते हैं। ज्यादा हमले की सूरत में तने का ऊपर वाला हिस्सा और फलियां झड़ जाती हैं। बिजाई के लिए रोधक किस्मों का प्रयोग करें। बिमारी के आने पर इंडोफिल एम 45 या कप्तान 260 ग्राम को 100 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 15 दिनों के बाद एक ओर स्प्रे करें।
पीले धब्बों का रोग : पत्तों के निचली ओर सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पत्ते हरे और पीले रंग के हो जाते हैं। पिछली फसल के बचे कुचे को नष्ट करें। फसल और इंडोफिल एम 45, 250 ग्राम को 100 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ 15 दिनों के फासले पर चार बार स्प्रे करें।
सफेद कुंगी : पौधे के पत्तों, तनों और फूलों के ऊपर सफेद रंग के दाने दिखाई देते हैं। प्रभावित भाग फूल जाता है। यदि खेत में नुकसान दिखे तो रोकथाम के लिए मैटालैक्सिल 8 प्रतिशत + मैनकोजेब 64 प्रतिशत 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 10-15 दिनों के बाद एक ओर स्प्रे करें।
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