फसल भले कोई भी हो जब तक उसकी अच्छी देखभाल नहीं की जाती जिसके कारण बढ़िया विकास नहीं होता और हमारी ही गलती से वह कई बार मर जाते हैं। आमतौर पर बागवानी फलदार पौधों को सर्दी ऋतु में अनदेखा करते हैं जिसके परिणामस्वरूप सर्दी ऋतु में पौधे कोहरे के प्रभाव से मर जाते हैं।
पतझड़ फलदार पौधे जैसे कि नाशपती, आड़ू, अलूचा, अंगूर आदि सर्दी ऋतु में स्थिल अवस्था में होने के कारण कोहरे के प्रकोप से बच जाते हैं पर सदाबहार पौधे जैसे कि आम, लीची, पपीता, अमरुद, केला, अमल और सिट्रस के फल इसके प्रभाव में ज़्यादा आते हैं। फलदार पौधों को बचाने के लिए नीचे दिए नुस्खे अपनाने चाहिए:
सिंचाई: कोहरे से पौधे को बचाने के लिए सर्दी ऋतु में बाग की सिंचाई करने से बाग का तापमान 1-2 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ाया जा सकता है।
हवा रोकने के लिए बाड़ लगाना: पौधों को कोहरे से बचाने के लिए फलदार पौधे लगाने से पहले हवा की रोकथाम के लिए बाड़ लगाएं। यह बाड़ उत्तर–पश्चिम दिशा में लगानी चाहिए। इसलिए हमेशा सख्त जान ऊँचे वृक्षों का चयन करें जैसे कि शीशम, अर्जन, सफेदा, आम, शहतूत आदि।
पथवारा बांधना: पथवारा बाँधने के लिए पराली, सरकंडे, गन्ने के अवशिष्ट का प्रयोग किया जाता है। पथवारा कम खर्च वाला आसान तरीका है जिससे पौधों को कोहरे से बचाया जा सकता है। पथवारा इस तरह बांधना चाहिए कि उसके दक्षिण दिशा की तरफ रौशनी और हवा अंदर जा सके ताकि पौधे के विकास पर कोई असर ना पड़े।
पौधों की कांट–छांट: फलदार पौधों की कटाई करके थोड़ा नीचे रखें। छोटे कद वाले वृक्ष कोहरे से बढ़िया तरीके से निपट सकते हैं। इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि फलदार पौधों की छोटी उम्र में ही कांट–छांट की जाये। ऐसे ढंग से इन्हें सख्त जान बनाया जा सकता है और कोहरे से बचाव किया जा सकता है।
धुएं के बादल बनाने: इस तरीके में सूखे अवशिष्ट, घास, सूखे पत्तों के ढेर तैयार किये जाते हैं और सर्दी के मौसम में इन ढेरों का प्रयोग किया जा सकता है। ढेरों को आग लगाकर धीरे–धीरे धुआँ पैदा किया जाता है। यद्यपि यह विधि बहुत प्रचलित नहीं है, लेकिन इसका उपयोग करने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
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