किसान की अर्थव्यवस्था में पशुपालन की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पशुपालन व्यवसाय छोटे और सीमान्त किसानों, ग्रामीण महिलाओं और भूमिहीन कृषि श्रमिकों को रोजगार के पर्याप्त व सुनिश्चित अवसर देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठोस आधार प्रदान करता है।
आमतौर पर मानसून के अलावा पशुओं को फसल के बचे कुचे एवं भूसे आदि पर पालना पड़ता है। जिससे पशुओं की बढोतरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से निज़ात पाने के लिए पशुपालकों को अजोला की खेती आवश्यक रूप से करनी चाहिए।
अजोला के गुण
• अजोला जल की सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है।
• यह प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा कैरोटीन) विकास वर्धक सहायक तत्वों एवं कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कॉपर एवं मैग्निशियम से भरपूर है।
• इसमें उत्तम गुणवत्ता युक्त प्रोटीन एवं निम्नलिखित तत्व होने के कारण गायें इसे आसानी से पचा लेती हैं।
• इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती है।
• यह औसतन 15 किलोग्राम/ वर्गमीटर की दर से प्रति सप्ताह उपज देती है।
• सामान्य अवस्था मे यह फर्न तीन दिन में दौगुनी हो जाती है।
• यह दुधारू जानवरों के लिए पूरक पशु आहार का कार्य करती है।
अजोला तैयार करने की विधि
• किसी छायादार स्थान पर 10 X 4 X 2 फीट आकार की क्यारी खोदें।
• क्यारी में 120 मि.मी. की पॉलीथीन शीट को बिछाकर ऊपर के किनारों पर मिट्टी का लेप कर व्यवस्थित कर दें।
• पॉलीथीन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण कर क्यारी भी तैयार कर सकते हैं
• 15 किलोग्राम साफ उपजाऊ मिटटी की परत क्यारी में बिछा दें।
• 5-7 किलो गोबर की खाद 10-15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिट्टी पर फैला दें।
• क्यारी में लगभग 10-15 सेमी गहराई तक पानी भरें ।
• अब उपजाऊ मिट्टी व गोबर खाद को जल में अच्छी तरह मिश्रित कर देवें।
• इस मिश्रण पर दो किलो ताजा अजोला को फेला देवें ।
• इसके पश्चात से 10 लीटर पानी को अच्छी तरह से अजोला पर छिड़कें जिससे अजोला अपनी सही स्थिति में आ जाए ।
• क्यारी को अब नायलोन जाली (ग्रीन नेट) से ढक कर 15-20 दिन तक अजोला को वृद्वि करने दें।
• 21वें दिन से औसतन 1.5-2.0 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्राप्त की जा सकती है।
• प्रतिदिन 1.5-2.0 किलोग्राम अजोला की उपज प्राप्त करने हेतु 20 ग्राम सुपरफॉस्फेट तथा 5 किलोग्राम गोबर की खाद का घोल बनाकर प्रति माह क्यारी में मिलाएं।
कैसे खिलायें: दुधारू गाय/भैंस को 1.5 से 2.0 किलोग्राम/ प्रतिदिन अजोला खिलाने से 15% से 20% दुग्ध उत्पादन में एवं दूध की गुणवत्ता अच्छी होती है।
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