कंपोस्ट कार्बनिक पदार्थ होता है जिसे खेतीबाड़ी अवशेषों को गलाकर बनाया जाता है। यह मिट्टी के उपजाऊपन को बढ़ाने में मदद करता है। किसी भी फसल की खेती के अवशेष जैसे पत्तियां, घास, पशुओं का मल-मूत्र, चारे के अवशेष, फलों और सब्जियों के छिल्के, लॉन एवं बगीचे की कटाई-छंटाई के अवशेष आदि पदार्थ कंपोस्ट के लिए उपयुक्त हैं। ना सड़ने वाले पदार्थ जैसे प्लास्टिक, रबड़, धातु, पॉलीथीन आदि को इसमें ना डालें।
छोटे स्तर पर कंपोस्ट बनाने के लिए आपको फावड़ा, तसला, टोकरी, रैक आदि की आवश्यकता होती है और बड़े पैमाने पर श्रम एवं समय की बचत के लिए ट्रैक्टर चालित मशीने उपयोगी रहती हैं। इन मशीनों में पलटाई तथा सभी पदार्थों को सुचारू रूप से मिलाने के लिए टर्नर-कम-मिक्सर की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार से ढेर लगाने तथा कच्चे एवं तैयार पदार्थों को नये स्थान पर रखने एवं ट्रक आदि में भरने हेतु लोडर, कंपोस्टिंग हेतु बड़े आकार की शाखाओं आदि को छोटा करने के लिए कटर की आवश्यकता होती है और तैयार खाद को छानने के लिए छनाई मशीनों की आवश्यकता होती है।
कंपोस्ट को बनाने में पायी जाने वाली मुख्य समस्याएं
• कृषि अवशेषों में कार्बन नाइट्रोजन का उच्च अनुपात होने से उनका विघटन धीमी गति से होता है।
• पौधों के अवशेषों में फासफोरस की कम मात्रा होने के कारण निम्न स्तर की कंपोस्ट का निर्माण होता है।
• अच्छी गुणवत्ता युक्त खाद तैयार करने में अधिक समय (120-150 दिनों) की आवश्यकता पड़ती है।
• कुदरती खाद में अक्सर पौधों के रोगजनक एवं घास के बीजों का पाया जाना एक बड़ी समस्या है।
• अपूर्ण विघटन के कारण खाद में पौधों के प्रति विषाक्ता उत्पन्न हो जाती है जिससे पौधों का अंकुरण प्रभावित होता है तथा पौधे मर जाते हैं।
कंपोस्ट बनाने की विधि
• सबसे पहले फसल अवशेषों का लम्बाई में ढेर बनाया जाता है। इस प्रकार के ढेर को विंडरोज़ कहते हैं। इसकी ऊंचाई 2.0 से 2.5 मीटर चौड़ाई तथा लम्बाई उपलब्ध जगह के अनुसार 10-100 मीटर या उससे अधिक रखी जाती है। इस सामग्री में 80%फसल अवशेष और 20 % गाय का गोबर होता है।
• माइक्रोस्कोपिक कल्चर पाउडर की स्प्रे की जानी चाहिए।
• कल्चर डालने के तुरंत बाद पहली पलटाई करें, दूसरी पलटाई 10 दिन बाद, तीसरी 25 दिन बाद , चौथी 40 दिन बाद और पांचवीं 55-60 दिन बाद की जानी चाहिए।
• विभिन्न पलटाइयों के बीच समय समय पर विंडरोज़ पर नमी बनाए रखने के लिए पानी की स्प्रे की जानी चाहिए और यह विंडरोज़ को सही आकार बनाने में मदद भी करता है।
• 60-70 दिनों के बाद खाद खेतों में डालने के लिए तैयार हो जाती है।
इस प्रकार इस खाद में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटाष और अन्य माइक्रोस्कोपिक तत्व होते हैं।
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