पौधों को कई बीमारियां हो जाती हैं। जिसके कारण पौधों को काफ़ी नुकसान होता है। आज हम आपको पौधे के सभी रोगों के उपचार के बारे और नीम बाम बनाने की प्रक्रिया के बारे में।
विधि: 50 लीटर पानी, 20 लीटर गोमूत्र डालें , 20 किलो देसी गाय का ताजा गोबर डाल कर अच्छे से लकड़ी से मिलाएं, 10 किलो नीम की चटनी या निम्बोली का पाउडर डालें| 48 घंटे छाया में रखें।दिन में 2 बार सुबह- शाम 1 मिनट के लिए घोलें। धुप एवं वर्षा से बचाएं। 48 घंटे तक पड़ा रहने दें|
नीम मलहम का प्रयोग
इस मलहम को साल में 4 बार तने पर लगाना है। जहाँ से शाखाएं शुरू हों, वहीँ तक लगाएं। साल में 4 बार निम्नलिखित समय पर प्रयोग करें:
• मई का पहला सप्ताह
• सितम्बर का आखिरी या अक्टूबर का पहला सप्ताह
• 21 दिसम्बर से 14 जनवरी तक
• होली से अगले 14 दिन तक
लाभ: नीम का उपयोग सफेद मक्खियों, एफिड्स, जैसिड आदि जैसे पौधों का रस चूसने वाले कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावशाली है। यह दीमक, सूत्रकृमि और अन्य प्रकार के कीड़ों से भी फसल की सुरक्षा करता है। देसी गाय के गोबर व मूत्र का मिश्रण मीली बग के प्रबन्धन में प्रभावशाली है। देसी गाय का मूत्र एफिड व पत्ती हॉपर के प्रति प्रभावशाली है।
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