बेकार सामान भी बन सकता है आपकी बगीची की शान

बगीची बनाना तकनीकी काम होने के साथ साथ कलाकारी भी है। यदि हम वृक्ष, पौधों और बगीची में होने वाले इमारत सज्जा जैसे कामों के बारे में पूर्ण ज्ञान रखते हुए, कला का तड़का लगा दें तो सोने पर सुहागे वाली बात हो जाती है। बगीची को सजाना उसमें जान डालने वाला काम होता है और यह कोई जरूरी नहीं होता कि आप बगीची सजाने के लिए महंगा फर्नीचर, फव्वारे, लाइट आदि का प्रयोग करें। तकरीबन 60 वर्ष पहले श्री नेक चंद जी द्वारा शुरू किए रॉक गार्डन की उदाहरण हमारे सामने मौजूद है। हालांकि अब तो पिछले पचास — साठ वर्षों से हमारे घरों और आस पास मिलने वाले बेकार या प्रयोग करके बेकार हुए सामान की मात्रा कई गुणा बढ़ चुकी है। घरों या संस्थाओं में हमारी रोज़मर्रा में प्रयोग आने वाला सामान कुछ समय तक कबाड़िये के पास जा पहुंचता है। कई प्रकार के मैटीरियल में मौजूद सामान मेहनत और कला के सुमेल से बगीची में श्रृंगार का सबब बन जाता है। कितने ही प्रकार के इस सामान को पौधों या श्रृंगार के लिए प्रयोग करने के लिए तकनीकी पक्षों का पता होना लाज़मी होता है नहीं तो समय गुज़र जाने के बाद मेहनत भी बेकार हो जाती है और श्रृंगार वस्तु, भद्दी वस्तु का रूप ले लेती है।

इस दुनिया में शौकीन लोगों की कमी बिल्कुल नहीं है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के युग में आप कुछ ही पलों में तस्वीरें और वीडियो प्राप्त कर सकते हैं जो प्रयोग किए हुए सामान को बगीचियों में दोबारा प्रयोग करके चार चांद लगा रही होती हैं। खूबसूरत तस्वीर को वास्तविक रूप देने के लिए बारीकियों और तकनीकी पक्षों को समझना ज़रूरी होता है। सबसे अहम बात यह होती है कि किस सामान को किस रूप में कैसे प्रयोग करना है? उसमें किस तरह के पौधे लगाने हैं? यदि सामान लोहे का है तो जंगाल लगने से बचाव, लकड़ी का है तो दीमक लगने से बचाव आदि बातों के बारे में आपको अग्रिम जानकारी होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के समान में लगे  पौधे को सारा साल आवश्यकतानुसार पानी किस विधि से पहुंचाना है और अतिरिक्त पानी का निकास कैसे करना है, ऐसे कितने ही सवाल मुश्किल में डालते हैं।

प्लास्टिक हमारी ज़िंदगी में बुरी तरह से घर कर चुकी होने के कारण, प्लास्टिक की कई वस्तुएं जिनमें विशेष कर बोतलें तो हमारे आस पास काफी संख्या में मिलती है। ठंडे या अन्य कामों वाली प्लास्टिक की बोतलें पौधे लगाने से लेकर सजावटी वस्तुएं, परगोले या पूल—किश्तियां बनाने में प्रयोग की जाती हैं। प्लास्टिक या प्लास्टिक जैसे मैटीरियल की बाल्टियां, ड्रम, खिलौने, समय रखने वाले बर्तन आदि बेशुमार चीज़ों को बहुत बाखूबी से बगीची में प्रयोग किया जा सकता है।

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पुन: उपयोग वाले सामान में वाहनों के पुराने टायरों का बहुत बड़ा योगदान है। यदि आप कड़ी मेहनत से कला का अच्छा इस्तेमाल करें तो टायरों में मौसमी फूल, झुलसे हुए पौधे और कई तरह के अन्य फूल पौधों को लगा सकते हो। टायरों को काटकर पक्षी—जानवरों आदि का रूप दे दिया जाता है। तस्वीरों में मिलने वाली सभी वस्तुओं में टायरों से बनी कला कृतियां मुख्य रूप में नज़र आती हैं। टायरों को तो लोग पुराने कुएं या बैठने के लिए फर्नीचर जैसी वस्तुओं आदि तक की दिखावट दे देते हैं। टायरों के अलावा रबड़ और चमड़े की कई वस्तुएं भी ऐसे कामों में प्रयोग की जाती हैं।

लोहे के ड्रम , पीपे— ढोल आदि को खूब सजाकर कई तरह के पौधों को लगाने के साथ साथ सजावट के तौर पर बाखूबी प्रयोग किया जाता है। बड़े ड्रमों को पेंट करके पौधे लगाने के साथ-साथ सुंदर दिखावट भी दी जाती है। लोहे के अलावा टीन या एल्यूमीनियम जैसी अन्य धातुओं के डिब्बों को आसानी से प्रयोग किया जाता है। लोहे और अन्य धातुओं को पानी से जंगाल या गलने से बचाने का प्रबंध करना जरूरी होता है। धातुओं के अलावा हमारे आस पास कांच की अनेकों वस्तुएं कबाड़ में मिल जाती हैं, जिसमें बोतलें, शराब या बीयर वाली बोतलें, कई तरह के जार और गिलास आदि कांच की वस्तुओं को पौधे लगाने और सजाने के लिए प्रयोग किया जाता है। विभिन्न रंगों में मिलने वाली कांच की वस्तुएं बगीची में रंग भरने का काम भी कर देती हैं।

लकड़ी का बगीची में बहुत गहरा संबंध भी है और प्रयोग भी अनेक विधियों द्वारा कर लिया जाता है। सूखे वृक्षों की जड़ से लेकर घरेलू फर्नीचर, पुराने साज़—सीढ़ियों को बगीची के डिज़ाइन में सही योजनाबंदी से फिट किया जा सकता है। दरवाजे और खेती उपकरण आदि जिनमें पौधे लगाकर सजा लिया जाता है। साइकिल के चक्कों और लकड़ी के पहियों से भी सुंदर दृश्य बनाए जा सकते हैं। पत्थरों की अद्भुत दिखावट और बजरी भी बगीची का अहम अंग होते हैं। पत्थरों अद्भुत दिखावट और बजरी को वृक्ष पौधों के नीचे डिज़ाइन में प्रयोग कर लिया जाता है। पत्थरों के साथ साथ मिट्टी के बर्तन और अन्य वस्तुएं अपने रंग और दिखावट से बगीची में योगदान देते हैं। इलेक्ट्रोनिक्स की सी.डी. जैसी बेकार वस्तुएं और मोर — मछली आदि बनाए जाते हैं।

आज के समय में प्रयोग की जाने वाली बिजली की वस्तुएं जैसे कि बल्ब, ट्यूब आदि को सजावट में प्रयोग करने के साथ साथ बिजली की मोटी तार लपेटने वाली चक्करियों को टेबल की तरह प्रयोग में लगाया जाता है। वास्तव में यदि वस्तुओं की बात करें तो सूचि, ना खत्म होने वाली बन सकती है, क्योंकि प्रयोग करने वाले तो पुराने बूट, कपड़े, बाथरूम के टब, मशीनरी के पुर्जे, पुराने पिंजरें, छतरियां, फलों वाले क्रेट,  बर्तन और कई वस्तुओं को प्रयोग कर लेते हैं। कुल मिलाकर प्रयोग की जा चुकी वस्तु को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए आपको तकनीकी जानकारी और कला की समझ होनी लाज़मी होती है। बेकार वस्तुओं की हमारे आस पास कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है तो हमारे दिमाग की बत्ती जगाने की।

डॉ. बलविंदर सिंह लक्खेवाली

+91-98142-39041

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