हाइड्रोजैल से कैसे कर सकते हैं फसलों में पानी का उच्चित प्रबंधन

हाइड्रोजैल क्या है

हाइड्रोजैल रासायनिक पॉलीमर की एक श्रेणी है। यह दो प्रकार के होते हैं – जल में घुलनशील और अघुलनशील। पौधे में पानी के तनाव की अवधि के दौरानी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अघुलनशील हाइड्रोजैल ही महत्तवपूर्ण है। इस तरह के अघुलनशील हाइड्रोजैल, जो अपने शुष्क भार से कई गुणा पानी ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।

पूसा हाइड्रोजैल

कृषि विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पूसा संस्थान के कृषि रसायण संभाग के वैज्ञानिकों की कोशिश से पूसा हाइड्रोजैल नामक हाइड्रोजैल तैयार किया गया है। यह अपने शुष्क भार के मुकाबले 350-500 गुणा ज्यादा पानी ग्रहण करके फूल जाता है और पौधे की जरूरत अनुसार धीरे धीरे जड़ क्षेत्र में छोड़ता है। यह हमारे देश की ऊष्ण या उपोष्ण जलवायु के उच्च तापमान की परिस्थितियों में भी लाभदायक है। 10 किलो मिट्टी से 1 किलो पूसा हाइड्रोजैल मिक्स करके बिजाई के समय खेत में डालें।

पूसा हाइड्रोजैल के लाभ

जड़ों के आस-पास मिट्टी में नमी बनाए रखता है – बारानी क्षेत्रों और सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए पानी की बचत के लिए बहुत महत्तवपूर्ण है। मिट्टी में पूसा हाइड्रोजैल डालने से हर प्रकार की फसलें, जिनमें अनाज वाली फसलें शामिल हैं, सिंचाई की अनुमानित संख्या कम हो जाती है।

फसल के विकास और उपज वृद्धि में सहायक

नर्सरी और पौधे लगाते समय पूसा हाइड्रोजैल का प्रयोग अंकुरण और जड़ फुटाव को बढ़ावा देता है। संस्थान के सुरक्षित कृषि और तकनीकी केंद्र के पॉलीहाउस और खेतों में किए गए परीक्षणों में देखा गया है कि गुलदाउदी में पूसा हाइड्रोजैल उपयोग के फलस्वरूप उत्तम गुणवत्ता की नर्सरी मात्र 18-20 दिन में तैयार हो जाती है, जबकि आमतौर पर 28-30 दिन का समय लगता है।

पूसा हाइड्रोजैल के काम की प्रणाली

मिट्टी में डालने से पूसा हाइड्रोजैल इसका ही एक हिस्सा बन जाता है। इसके चीनी के दाने जैसे कण जड़ क्षेत्र में सिंचाई और बारिश के बाद अतिरिक्त पानी, जो कि पौधे को नायाब (अनउपलब्ध) रहता है, को ग्रहण करके फूल जाते हैं।

उपयोग दर, उपलब्धता और मूल्य

• कारबोरंडम यूनिवर्सल (पी) लिमिटेड, बैंगलोर – ब्रांड नाम कावेरी (संपर्क करें: 09449081339)।

• अर्थ इंटरनेशनल (पी) लिमिटेड, नई दिल्ली- ब्रांड नाम वारीधर जी – 1 (संपर्क करें: 9868259735 )।

• पूसा हाइड्रोजैल की शुरूआती कीमत 1200 रूपये प्रति किलो से लेकर 1400 रूपये प्रति किलो रखी गई है। कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर मांग के अनुसार कीमत के कम होने की संभावना है।

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