यह बूटी सड़कों के किनारों, खाली पड़ी ज़मीनों और बागों आदि में आम देखी जा सकती है। इसे कांग्रेस घास या पारथीनियम के नाम से भी जाना जाता है।
यह फरवरी महीने से उगना शुरू होती है और वर्षा के मौसम तक यौवन अवस्था में पहुंच जाती है। सर्दियों में इसके पौधे सूख जाते हैं।
सेहत पर नुकसान
• त्वचा रोग
• एलर्जी
• सांस रोग
गाजर बूटी की रोकथाम
• इसे बार बार काटकर या दस्ताने डालकर जड़ से उखाड़ दें।
• फरवरी के दूसरे पखवाड़े में नदीन उगने से पहले ही 0.7 से 1.0 प्रतिशत एट्राकाफ 50 डब्लयु पी (एट्राज़िन) 700 ग्राम से 1 किलो को 100 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। एट्राकाफ की स्प्रे 1 से 2 पत्ते निकलने के बाद भी की जा सकती है।
• यदि बूटी के 3 से 4 पत्ते निकले हों तो 0.7 से 1.0 प्रतिशत राउंड अप/गैनकी 41 एस एल (ग्लाइफोसेट) 700 मि.ली. से 1 लीटर को 100 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।
• 0.4 प्रतिशत एक्सल मैरा 71 एस सी (ग्लाइफोसेट) 400 ग्राम को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
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