रानी मक्खी खुद बनाने के लिए प्रत्यारोपण प्रक्रिया का प्रयोग करें

एक नए मकखी पालक के लिए रानी मक्खी खुद तैयार करने का विचार एक असफल विचार सा लगता है, लेकिन जैसे ही अनुभव बढ़ता है तब यह बहुत सपष्ट है कि ऐसा करने के बहुत सारे फायदे भी हैं इसमें।

• आप अपनी खुद की मधु कालोनी बना सकते हैं।

• आप रानियों को आगे बेच सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

• आवश्यकता पड़ने पर आप अपनी मधु कालोनी की रानी कीमांग खुद पूरी कर सकते हैं।

• आपको रोगों के प्रतिरोधक ब्रीडिंग स्टॉक मिलेगा।

• आप क्वालिटी पर नियंत्रण कर सकते हैं और कीटों के खतरे को कम कर सकते हैं।

• और प्रकृति के साथ सद्भाव में काम करने का यह एक आकर्षक मौका है।

अनुभवी मक्खीपालक इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अपनी रानी मक्खी तैयार करना कितना फायदेमंद है, इसलिए आइये हम व्यापारिक उद्देश्य के लिए रानी मक्खी तैयार करने के सबसे प्रसिद्ध ढंग के बारे में विचार करें।
वह ढंग जिसके बारे में हम चर्चा करने जा रहे हैं इसे सामान्यत: प्रत्यारोपण के रूप में जाना जाता है और प्रत्यारोपण करने के लिए मक्खीपालक को कुछ महत्तवपूर्ण बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

• एक अच्छी रानी मधुमक्खी जिसके लार्वे से भविष्य में नई रानियां बनायी जायें।

• प्रत्यारोपण लार्वा की उचित उम्र (12-24 घंटे)

• रानी तैयार करने के उपकरण – प्रत्यारोपण टूल, सैल कप, सैल बार और फ्रेम, ये सभी चीज़ें बाज़ार से खरीदी जा सकती हैं और बनायी भी जा सकती हैं।

• रानी तैयार करने की प्रशिक्षण

रानी सैल कप बनाना

• रानी सैल कप बनाने के लिए हल्के रंग के मोम का प्रयोग करें।

• एक स्टील या एल्यूमीनियम छड़ जो लगभग 10 सैं.मी. लंबा हो, जिसका सिरा गोल व तीखा हो (जिससे मोम कप आसानी से उतर जाते हैं) का प्रयोग करें।

• स्टील की छड़ को ठंडे साबुन के घोल से धोयें और इसे घोल से बाहर निकालकर फालतू साबुन की बूंदों को झटक दें।

• मोम को सीधे आग पर ना पिघलायें, बल्कि मोम को बर्तन में डालें और फिर उसे किसी पानी वाले बर्तन में रखकर गर्म करें।

• उसके बाद स्टील की छड़ को पिघले हुए मोम में लगभग 9 मि.मी. तक डुबोयें और इसे तुरंत मोम से बाहर निकालें ताकि गर्म मोम ठंडा होकर जम जाये। इस प्रक्रिया को 3-4 बार करें।

• मोम को अच्छे से जमाने के लिए स्टील की छड़ को 3-4 बार डुबोने के बाद ठंडे पानी में रखें।

• मोम के ठंडा होने के पश्चात कप को हल्का सा घुमाकर अलग कर लें और साफ पानी से अच्छी तरह से धोयें।

•इन रानी कपों को 5 सैं.मी. मोटी लकड़ी की फट्टी पर 2.5 मि.मी. की दूरी पर अतिरिक्त मोम की सहायता से चिपकालें।

• इन फट्टियों को फ्रेम की दोनों तरफ सांचे बनाकर टिका दें। एक फ्रेम में तीन लकड़ी की फट्टियों को रखा जा सकता है।

नर्स कालोनी के लिए शर्तें

जिन मौनवंशों में रानी मक्खी को तैयार किया जाता है उन्हें सैल बिल्डयर या नर्स कालोनी कहा जाता है। नर्स कालोनी मुख्यत: रानी रहित होती है। इसलिए नर्स कालोनी का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी शहद उत्पादन क्षमता अच्छी हो और वह मौनवंश किसी बीमारी से ग्रसित ना हो। सेहतमंद हो और गिणती में अच्छा हो।

लार्वा ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया

पहले दिन – मौन वंश को ऐसा अंधेरे वाला गहरा छत्ता दें, जिसमें वे अंडों को अच्छे से दे सकें।

चौथे दिन – उचित तापमान पर ग्राफ्टिंग सुई की सहायता से लार्वा को नमी वाले स्थान पर कृतिम रानी सैल कप में प्रत्यारोपित करने से ग्राफ्टिंग प्रक्रिया की सफलता की संभावना ज्यादा होती है।

ग्राफ्टिंग नीडल का प्रयोग करके किनारे से नीडल को लार्वा के नीचे खिसका कर ले जायें और लार्वा को उसकी निचली सतह से ऊपर की तरफ उठाकर रानी सैल कप के तल पर रख दें।

वर्जिन रानी का जन्म

14वां दिन – नर्स कालोनी से प्रौढ़ सैलों को हटाएं और रानी का स्थान लेने के लिए एक सैल छोड़ दें। कोशिश करें कि रानी सैल को 80 से 94oF तापमान पर रखें जब तक कि रानी को मौनवंश मे ना रखा जाये।

22वां दिन – अब वर्जिन रानियां प्रजनन प्रक्रिया के लिए तैयार हैं प्रजनन 69oF तापमान पर और एक अच्छे मौसम में होना चाहिए।

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अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी गतिविधियों को सही समय पर करनेकी कोशिश करें, फिर आप जरूर सफलता हासिल कर पायेंगे।

प्रत्यारोपण प्रक्रिया करने के लिए अभ्यास, सिखलाई, अच्छी रोशनी और स्थिरता की जरूरत होती है।

दुर्भाग्य से, बहुत से मक्खीपालक सटीक दर सटीक दर होने के कारण इसे करने से परहेज़ करते हैं, पर अभ्यास के एक या दो घंटों के साथ कोई भी कोई भी नौसिखिया आसानी से इस कौशल को प्राप्त कर सकता हैं।

इसलिए कोशिश ज़रूर करें!

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