धान-बासमती की एस.आर.आई विधि
एस.आर.आई तकनीक क्या है?
एस.आर.आई तकनीक जिसे धान की उपज में वृद्धि की प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है, एक कृषि पारिस्थितिक पद्धति है जो पौधों, पानी, मिट्टी और पोषक तत्वों के प्रबंधन को बदलकर सिंचित धान की उपज को बढ़ाने में मदद करती है। यह तकनीक 20-40 प्रतिशत तक पानी बचाती है।
एस.आर.आई तकनीक के लाभ
• कम बीज (2 किलो प्रति एकड़)
• कम खाद (25-30 किलो बीज)
• कोई नदीननाशक नहीं
• कोई कीटनाशक नहीं
• 20-40 प्रतिशत पानी की बचत
• अधिक उपज
एस.आर.आई तकनीक के मुख्य नुस्खे
• कम बीज (2 किलो प्रति एकड़)
• पनीरी बैडों पर
• रोपाई के लिए छोटी उम्र की पनीरी (10-12 दिन की)
• पौधों में एकसमान और अधिक दूरी (धान में 10 X 10 इंच, बासमती में 8 8 इंच)
• 3 गोडाई
• पानी गोडाई करते समय या आवश्यकतानुसार
• खादें एक या दो बार की बजाय अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में
एस.आर.आई तकनीक का तरीका
बीजों का चयन और उपचार
पी.ए.यू द्वारा सिफारिश की गई किस्मों का ही प्रयोग करें। 10 लीटर पानी में धीरे-धीरे 2 किलो नमक घोलें और उसमें एक अंडा या आलू पानी में डालें और चैक करें यह डूबता है या तैरता है। यदि यह डूब जाता है तो पानी में नमक मिलाना बंद कर दें। बिजाई से पहले बीजों को नमक वाले पानी में डुबोयें और उसके बाद बीजों का रासायनिक या जैविक तकनीक (जैविक के लिए जीव अमृत प्रयोग करें) से उपचार करें।
खेत की तैयारी और पनीरी की बिजाई
उपचारित बीज को पराली या बोरी से ढककर अंकुरित कर लें। 8 x 3 फुट और 6-7 इंच ऊंचे बैड तैयार करें। एक एकड़ के लिए 5 बैड बनाएं। 2 बैडों के बीच 1 फुट चौड़ी खाली बनाएं। बैड पर पराली, बोरी या प्लास्टिक शीट बिछा दें। इसके ऊपर 1 इंच मिट्टी, जिसमें गली-सड़ी रूड़ी/वर्मी कंपोस्ट/जीव अमृत डाला गया हो। अंकुरित हुए बीज इस परत पर बिखेर दें और हाथ से मिला दें। इसके बाद बैड को पराली/बोरी/प्लास्टिक शीट से ढक दें और ऊपर से पानी छिड़क दें। 2-3 दिन लगातार इसी तरह पानी देते रहें। तीसरे दिन बैडों के बीच खालियों में पानी छोड़ दें (पानी बैड के ऊपर नहीं आना चाहिए)।
पनीरी की रोपाई
रोपाई से पहले मिट्टी को भुरभुरा कर लें। रोपाई से एक दिन पहले खेत में से अतिरिक्त पानी निकाल दें। बासमती किस्मों के लिए 10 x 10 इंच के फासले पर पनीरी की रोपाई की जानी चाहिए। (बासमती किस्मों के लिए 8 x 8 इंच फासले का प्रयोग करें)। रोपाई के बाद पौधों को पानी नहीं लगाना, यदि आवश्यकता हो, तो रोपाई के 2-3 दिन बाद हल्की सिंचाई करें।
खादें, सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
रोपाई के 2-3 दिन बाद खेत में 10 किलो यूरिया डालें। रोपाई के 10 दिन बाद खेत को इतना पानी लगाएं कि खेत में एक इंच पानी खड़ा हो जाये। खड़े पानी में दोनों ओर गोडाई करें। पानी सूखने के बाद यूरिया की दूसरी मात्रा 10 किलो डालें। 10 दिनों के बाद (रोपाई के 20 दिन बाद), दोबारा पानी दें और खादों को समान मात्रा में डालें। तीसरी सिंचाई 10 दिनों के बाद की जानी चाहिए (रोपाई के 30 दिन बाद) और फिर आखिरी गोडाई करनी चाहिए। बालियां विकसित होने के समय पोटाश 1 किलो को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
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