वर्तमान समय में किसानों के पिछड़ने का कारण

वर्तमान समय में किसानों के पिछड़ने का कारण

ज्यादातर भारतीय किसान भाईचारे में देखा गया है कि किसान खुदकुशी कर रहे है, कर्ज़े के नीचे दबे जा रहे हैं, सरकारी स्कीमों और योजनाओं से किसान असंतुष्ट हैं, किसानों की तरफ से फसलों की बर्बादी के लिए खराब मौसम को दोष दिया जा रहा है, नई पीढ़ी की खेती में दिलचस्पी नहीं है और भी बहुत कुछ…

जहां हमारे देश में किसानों की शिकायतों की सूची खत्म नहीं हो रही, वहीं दूसरी ओर बाकी देश कृषि के एक आधुनिक स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां सब कुछ स्व: चालित और पर्यावरण के अनुकूल है।

भारत में बहुत कम किसान है, जिन्होंने इस तथ्य को समझा है कि कृषि के क्षेत्र में सफल होने के लिए आधुनिकता ही एकमात्र कुंजी है और उन किसानों ने ना केवल इस तथ्य को अपनाया बल्कि लागू भी किया। इसलिए इन किसानों को प्रगतिशील और भविष्यवादी किसानों के तौर पर जाना जाता है।

आधुनिकता में टैक्नोलोजी अहम भूमिका निभाता है, जो ना केवल किसानों को आत्म निर्भर और बुद्धिमान बनाती है, बल्कि कृषि व्यवसायों को किफायती भी बनाती है। टैक्नोलोजी का प्रयोग करने का मतलब बड़ी मशीनरी का प्रयोग करना नहीं, इसका मतलब सूचना और आधुनिक अभ्यासों का सही तरीके से उपयोग करना।

अपनी खेती टीम द्वारा किए गए विशलेषण में देखा गया है कि 10 किसानों के ग्रुप में से लगभग 7—8 किसानों के पास ही स्मार्टफोन मौजूद होते हैं और हर किसान परिवार में एक सदस्य के पास स्मार्टफोन ज़रूर होता है।

आपके दिमाग में यह सवाल जरूर आता होगा कि एक स्मार्टफोन कृषि में आपकी मदद कैसे कर सकता है… खैर, स्मार्टफोन ही एक सबसे महत्तवपूर्ण उपकरण है, जिसका प्रयोग किसान अपने कृषि व्यवसाओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कहीं भी और किसी भी समय कर सकता है।

टैक्नोलोजी ना केवल किसानों को सूझवान बनाती है, बल्कि खेती को भी स्थाई बनाती है।”

यदि टैक्नोलोजी की बात करें तो, भारतीय कृषि समाज अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है जहां किसानों के द्वारा नमी मापने वाले सैंसर, ड्रोन, जी. पी. एस. से चलने वाले स्व: चालित ट्रैक्टर प्रयोग किए जाएं, लेकिन हां हम ऐसे स्तर पर पहुंच चुके हैं जहां किसान लाभदायक तरीके से टैक्नोलोजी का प्रयोग कर सकता है।

तो, कैसे टैक्नोलोजी कृषि को प्रभावित करती है:

बेहतर निर्णय लेने में— भारत में बहुत सारी कृषि एप्लीकेशन उपलब्ध हैं, जो मुफ्त में किसान को सही समय पर सही जानकारी उपलब्ध करवाती है।

भाईचारे का सुमेल — टैक्नोलोजी देश के अलग अलग भागों से किसानों को आपस में जोड़ती है और इस तरह जानकारी हर तरफ पहुंचती है और विकास होता है।

बेहतर योजनाबंदी — टैक्नोलोजी जानकारी प्रदान करती है, जो आपको मिट्टी और जलवायु के अनुसार फसल उगाने का फैसला करने के सक्षम बनाती है। टैक्नोलोजी मिट्टी में तत्वों की सही आवश्यक मात्रा के बारे में अंदाजा लगाने में भी मदद करती है, जिससे खादों और स्प्रे के अनावश्यक प्रयोग को कम किया जा सकता है। टैक्नोलोजी किफायती तरीके से पूर्ण तौर पर योजनाबंदी करने में मदद करती है।

टैक्नोलोजी नई तकनीकों से अवगत करवाती है — आज टैक्नोलोजी उस आधुनिक स्तर पर पहुंच गई है जहां आप मिट्टी के बिना ही फसलें उगा सकते हैं, कुछ घंटों में ही एकड़ों के हिसाब से कटाई कर सकते हैं, कुछ मिनटों में ही कई टन फलों की सफाई और ग्रेडिंग कर सकते हैं और अन्य भी बहुत कुछ… इन तकनीकों को अपनाने के लिए आपको किसी बड़े निवेश की जरूरत नहीं, आपको केवल एक सूझ—बूझ वाले दृष्टिकोण की जरूरत है, कुछ मशीनीकरण और कुछ पैसों की जरूरत है।

प्रचार के लिए वैश्विक मंच — टैक्नोलोजी का प्रयोग करके किसान डिज़िटल मार्किटिंग और वैबसाइट प्रमोशन के द्वारा अपने कारोबार को ग्लोबल स्तर पर ऊँचा उठा सकते हैं।

आज के समय में टैक्नोलोजी बहुत जरूरी है और किसानों को इस तथ्य को समझना चाहिए। इसके अलावा वर्तमान समय में कृषि व्यवसायों को अपनाना अन्य व्यवसायों से अधिक लाभदायक है।

यदि हम इन सवालों के जवाब ढूंढते रहे कि भारत में कृषि क्षेत्र के पिछड़ने के लिए ज़िम्मेदार कौन है, तो यह दोष लगाने का सिलसिला इस इसी तरह ही चलता रहेगा। हम सबको जिम्मेदारी से काम करना पड़ेगा और अन-उत्पादक चीज़ों पर समय और प्रयत्न

इस समय भारत में हम अच्छे वकील, कुशल डॉक्टरों, पढ़े — लिखे शिक्षकों और आई. टी. माहिरों की गिनती से संतुष्ट हैं, पर अभी भी हम प्रगतिशील किसानों की गिनती में बहुत पीछे हैं।

अपना दृष्टिकोण बढ़ाएं, क्योंकि कृषि के क्षेत्र में टैक्नोलोजी बहुत सारी संभावनाएं ला सकती हैं।

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