धान की फसल में कीट लगने से फसल को भारी नुकसान होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं धान की फसल में लगने वाले कीटों के बारे में और जाने उनकी रोकथाम के लिए कुछ उपायें।
तना छेदक: इन कीटों की सुंडियां तने में चली जाती है और जुलाई से अक्तूबर तक उनको प्रभावित करती है। परिणामस्वरूप पौधे की गोभ सूख जाती है, बालियों में दाने नहीं बनते और बालियां सफेद रंग की हो जाती है।
पत्ता लपेट सुंडी: ये सुंडियां पत्ते को लपेट लेती हैं और अंदर ही अंदर खा लेती हैं, जिससे पत्तों के ऊपर सफेद रंग की धारियां पड़ जाती हैं।
रोकथाम: तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी की रोकथाम के लिए 560 मि.ली. मोनोसिल 36 SL या 20 मि.ली. फेम 480 SC या 170 ग्राम मोर्टर 75 SG को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
पौधो के टिड्डे: इन कीटों में सफेद पीठ वाले और भूरे टिड्डे शामिल हैं। इन टिड्डों के बच्चे और बड़े टिड्डे दोनों ही पौधे का रस, जुलाई से अक्तूबर तक चूसते हैं, जिससे फसल थोड़े-थोड़े भागों में सूख जाती है।
घास के टिड्डे: यह टिड्डे धान की फसल के पत्तों को खाकर नुकसान पहुंचाती है।
रोकथाम: पौधे और घास के टिड्डे की रोकथाम के लिए 40 मि.ली. कॉन्फीडोर 17.8 SL या 800 मि.ली. एकालकस 25 EC को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
जड़ों की सुंडी: इस सुंडी की टांगे नहीं होती। इसका रंग सफेद होता है। यह सुंडी जुलाई से सितंबर तक ज़मीन में पौधे की जड़ों को खाती है और प्रभावित पौधे छोटे रह जाते हैं, पीले पड़ जाते हैं और पौधा फैलता नहीं है।
रोकथाम: जड़ो की सुंडी की रोकथाम के लिए खेत में 3 किलो थिमट/फोराटोकस 10 जी दानेदार दवाई का प्रति एकड़ खड़े पानी में छींटा दें।
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