पोल्ट्री फार्म के धंधे में एक ऐसी विषाणू और छूत की बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी का नाम है रानीखेत। ये बीमारी केवल पोल्ट्री में ही नहीं बल्कि बतखों, कबूतरों और पंछियों में भी पायी जाती है। यह बीमारी चूज़ों का एक छूत रोग है, जो की हवा, पानी और फीड के जरिये फ़ैल जाता है। पूरी तरह बीमारी फ़ैल जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।
क्या होते हैं बीमारी के लक्ष्ण:
• अचानक मौत, उदासी, भूख न लगना और पतली बींठ करना
• गर्दन टेढ़ी हो जाना यां लकवा हो जाना
• साँस लेने में तकलीफ होना और खांसी
• अंडो में कमी आना
• इस रोग के ज्यादा फैलने से मौत दर 100% तक बढ़ जाती है।
कैसे बचा जाए इस बीमारी से:
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। कीटाणुओं को बढ़ने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दी जा सकती हैं।
• बीमारी के लक्ष्ण पता चलने पर तुरंत बीमारी वाले चूज़ों को अलग जगह पर रखें।
• पोल्ट्री फार्म के अंदर आवाजाही कम रखें, यदि किसी को जाना भी है तो दरवाजे पर कली बिछा दें, उस पर पैर रखकर ही कोई अंदर आये।
• जो भी चूज़ा यां मुर्गी इस बीमारी से मर जाए उसे दबा देना चाहिए यां आग लगाकर नष्ट कर देना चाहिए।
• सबसे जरूरी टीकाकरण है। समय- समय पर टीकाकरण आवश्यक है जैसे पहले 3 से 7 दिन तक के चूज़ों का टीकाकरण फिर दूसरा टीकाकरण 28 दिनों बाद फिर साल में 3 बार टीकाकरण करवाते रहें।
• रोग की शुरुआत में “रानीखेत ऍफ़ वन” वैक्सीन दी जाये तो 24 घंटों में सुधार हो सकता है।
• पोल्ट्री फार्म की सफाई का खास ध्यान रखें
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