जानें कटड़ों /बछड़ों को मोक लगने का इलाज और सावधानियां

मोक आंतड़ियों के रोगों का एक मुख्य लक्षण है। कटड़ों/ बछड़ों में यह समस्या मौत का कारण ज्यादा बनती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे खुराकी कारण, विषाणु रोग या कीटाणु रोग आदि। यदि मोक में खून या चर्बी आये तो यह उससे भी गंभीर समस्या है। पशु रखने वाले भाइयों को इन बीमारियों के लक्षणों को देखने के बारे में आम जानकारी होनी बहुत जरूरी है।

• मोक वाले पशु का शारीरिक तापमान चैक करें। यदि तापमान 103 डिगरी फार्नाहाइट से ऊपर है या 98 डिगरी फार्नाहाइट से नीचे है तो इसका मतलब कि मोक की समस्या गंभीर है।

• यदि पानी की कमी की निशानियां देखने में आ रही हैं तो नॉर्मल सलाइन या रिंगर लैकटेट की बोतल खून में चढ़वाएं।

• मोक में खून आने पर या बुखार हो, तो एंटीबायोटिक का प्रयोग जरूरी है। एंटीबायोटिक दिन में दो बार और 4-5 दिनों तक देते रहें।

• मोक लगने से पहले 1-2 दिनों के लिए दूध की मात्रा आधी कर दें। मुंह के द्वारा पानी में हल्का नमक और गुलूकोज़ डालकर 2-2 घंटे बाद डालें।

• नवजात कटड़े /बछड़े को पहले 24 घंटों में बार-बार बाउली पिलायें।

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