अच्छी रूड़ी की खाद तैयार करने के लिए इसको गड्डों में तैयार करना चाहिए। रूड़ी की खाद निश्चित अकार के गड्डों में तैयार करनी चाहिए। गड्डों में रूड़ी अच्छे तरीके से गलती-सड़ती है और उसके खुराकी तत्व की संभाल रहती है। सही तरीके से रूड़ी की खाद बनाने का तरीका इस तरह है
पशुओं का मल-मूत्र इकट्ठा करना:
सबसे जरूरी है कि जानवरों का पेशाब व्यर्थ ना गंवाकर उसको गोबर के साथ ही इकट्ठा करना। इसलिए पशुओं के नीचे रूड़ी, पराली, फ़ालतू चारा या फसल का बचा-कुचा बिखेर दें ताकि पशुओं का पेशाब इस में समा जाए। धान की पराली इसके लिए बहुत उपयुक्त है। एक किलो पराली औसतन 1.5 किलो पेशाब सोख लेती है। पेशाब सोखने से पराली में कार्बन और नाइट्रोजन का अनुपात भी कम हो जाता है। जिस कारण पराली जल्दी गल जाती है। अगर पशुओं के नीचे पक्का फर्श है तो लगभग 50% पेशाब को इक्ट्ठा किया जा सकता है, जिसे रूड़ी पर बाल्टियों से डाला जा सकता है।
गड्डा खोदना:
गड्डे का अकार पशुओं की संख्या और मल मूत्र की मात्रा पर निर्भर करता है। आम तौर पर 3-5 पशुओं के मल मूत्र के लिए 6-7 मीटर लम्बा, 1-1.5 मीटर चौड़ा और 3 फुट गहरा गड्डा काफी होता है। गड्डे की गहराई एक तरफ से 3 फुट और दूसरी तरफ से 3.5 फुट होनी चाहिए। एक गड्डा ऐसी जगह पर खोदें जहां बारिश का पानी इकट्ठा ना हो सके। इस गड्डे के आस-पास मेंड़े बना देनी चाहिए।
गड्डे की भराई:
गड्डे को कम गहराई वाली तरफ से भरना शुरू करें और इसे जमीन से तकरीबन 1.5 फुट ऊँचा भरें और उसके बाद उसके ऊपर 1.5-2 इंच मोटी मिट्टी की परत बना दें। इस तरह करने से रूड़ी में मौजूद नदीनों के बीज भी गल जाएंगे और खुराकी तत्व धूप से नष्ट होने से बच जाएंगे।
गड्डों की संख्या:
हर किसान के पास कम से कम 2 या 3 गड्डे होने चाहिए ताकि पहले गड्डे को भर कर मिट्टी से ढक दिया जाए और फिर दूसरे गड्डे को भरना शुरू किया जा सके। इस दौरान पहले गड्डे की रूड़ी खेत में डालने के लिए तैयार हो जाएगी जिसे प्रयोग करके गड्डा दोबारा इस्तेमाल के लिए खाली हो जाएगा।
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